दिल्ली की पहली वर्षगांठ १९११ और स्वाभिमानी राजासयाजीराव गायकवाड ///////// सन २०११ दिल्ली की १०० वीं वर्षगांठ है. दिल्ली १९११मैं देश की राजधानी बनी. इसी वर्ष ब्रिटेन के राजा जोर्ज पंचम को भारत का महाराजा सम्राट घोषित किया गया. प्रथम बार कोई ब्रिटेन का राजा यहाँ समारोह के लिए व्यक्तिशः उपस्थित हुआ. जोर्ज पंचम के स्वागत के लिए भारत के लगभग छसोराजा नवाब वंदना करने हेतु एकत्रित हुए. राजाओं को सम्राट के सामने उपस्थित होकर अपना परिचय किस प्रकार दिया जाय,इसकी हिदायतें दी गयी. सर्वप्रथम परिचय, फिर तीन बार झुकना ,फिर बिना मुड़े पीछे चलकर अपना आसन ग्रहण करना. प्रत्येक राजा ने आचार संहिता का पालन किया. मगर बरोड़ा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड तृतीय इस आचार संहिता की धज्जियाँ उड़ादी. वे न तो तीन बार झुके ,और न पीछे हटतेहुए गए. बल्कि मुड़कर आसन पर आए. इतना ही नहीं व्यंगात्त्म्क और उपहासात्मक हंसी हँसते हुए आए. पूर्ण दरबार एकदम सन्न रह गया. इतिहासकार अमर फारूकी ने कहा है की महाराजा सयाजीराव गायकवाड ने का यह कदम बहादुरी पूर्ण था. सयाजीराव एक प्रगतिशील राजा थे. आपने बालविवाह पर रोक लगाई.बरोड़ा मैं सूती मिलें और बैंके आरम्भ की. प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य और निःशुल्क घोषित किया. डा. भीम राव जी आंबेडकर को स्नातकोत्तर शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता दी. डा.भीम राव जी हमारे संविधान निर्माता हैं. जिन पर पुरे देश को गर्व है. और सबके दिल मैं उनके प्रति बड़ा सम्मान है. सन १९११ मैं कोई यह भविष्यवाणी भी नहीं कर सकता था की तीन दशक बाद देश आजाद हो जायगा. उस जमाने मैं सयाजी राव गायक वाडका यह कदम बड़ा साहसपूर्ण था. वे प्रजा मैं बड़े लोकप्रिय थे. वे चाहते थे की प्रत्येक भारतीय स्वाभिमान और अन्तः प्रेरणा से ओतप्रोत हो.राजधानी दिल्ली की १०० वीं वर्ष गांठ पर बधाई और महाराजा सयाजी राव गायक वाड को श्रद्धा पूर्वक नमन.
शनिवार, दिसंबर 24, 2011
lokpal,ke bare main.
अपने अपने जुमले हैं,अपने अपने तर्क,हंसिया हो हथोडा हो,या हो हाथी या हाथ. लालटेन हो या कमल हो हर को हर का साथ/ ये सब साथी हैं,हम जोली हैं, नहीं है कोई फर्क./ लोकपाल के माथे पर है ,आरक्षण की टोपी. आँख पर टुटा चश्मा .पहिनने को है लाल और केसरिया कमीज, एक हाथ मैं मंदिर की घंटी है दूजे मैं है लम्बी छड़ी ,////अंग्रेजों का सूट नहीं है पहिना, मगर गले मैं हाथी ब्रांड टाई है शानदार, /एक टांग पर केसरिया धोती दूजी पर पायजामा चूडीदार,एक पैर मैं चप्पल है ,दूजे मैं जूता एडीदार //////अपने अपने जुमले हैं अनपे अपने तर्क हंसिया हो या हथोडा हो ,लालटेन हो या कमल हो हर को हर का साथ,ये सब साथी हैं,हमजोली है, किसी मैं नहीं है कोई फर्क अपने अपने जुमले हैं अपने अपने तर्क.////////अन्ना का लोकपाल है बड़ा अलबेला, कानून का वो जानने वाला, हाथ मैं मैं हंटर ,पैर मैं फौजी बुट,//फ़ौज उसकी बड़ी सशक्त है ,बंद कर देगा सारी लूट ///उसे संसद या कोर्ट किसी की जरूरत नहीं पडी है ,शुरू कर देगा वह अपनी बन्दर बाँट,उसे किसी की क्या पडी है?///जब वो पूरी ताकत से हाथ मैं हंटर लेकर, कानून को जबान पे रखकर ,परमाणु सूटकेस पर उंगली रखकर दिल्ली के तखत पर बैठेगा ,तो गद्दाफी, सद्दाम हिटलर को जमाना भूल जाएगा, और मेरे देश का अवाम आसमान ताकता रह जाएगा, ///////और तब तक अन्ना की आन्दोलन से हो जायगी छुट्टी ,किरण केजरीवाल और सिसोदिया जेल मैं पिसेंगे घट्टी,जेल मैं पिसेंगे घट्टी .///आज तक जनता को क्या फर्क पड़ा है, खड़ा है राज्जपाल,या लोकपाल नहीं किसी मैं फर्क अपने अपने.............
शुक्रवार, दिसंबर 02, 2011
post card and landline telephone
छोटे डाकघरों मैं पोस्टकार्ड औरप्रधान डाकघरों मैं जवाबी पोस्टकार्ड अनुबल्ब्ध हैं. बैंकों मैं चेक डालने के लिए जो ड्रॉप बॉक्स रखे गए हैं उस पर लिखा है की चेक डालनेवाले उपभोक्ता अपना मोबाइल क्रमांक डालें. यदि कोई सज्जन मोबाइल का उपयोग न करते हों लैंड लाइन क्रमांक डालने मैं क्या हर्ज़ है? ऐसा जब बैंक मेनेजर से पूछा गया तो उनका जवाब था की आजकल कोई भी लैंड लाइन और वह भी बे.अस.अन अल की नहीं उपयोग मैं लेता. हमारा समाज एक और तो महंगाई का रोना रोता है दुसरे इन सस्ते और सुलभ देसी कंपनियों और सरकारी विभाग के संचार साधनों का उपयोग करना ही नहीं चाहता.पोस्टकार्ड शायद दुनिया मैं सबसे सस्ता संचार का माध्यम है . सस्ते साधन के अलावा यह कई लोगों के रोजगार का जरिया भी है. इसी प्रकार लैंड लाइन फोन जो सरकारी है ,इसका बिल्लिंग सही है. यदि लैंड लाइन फोन ख़राब है ,तो इसकी शिकायत आप करिए.क्या दिक्कत है/हम लोगों को भ्रम और भटकाव मैं जीने की आदत पड़ गयी है. हम तय नहीं कर पा रहे की विदेशी कंपनियों का साकार विरोध करें की खाली माली भोंपू और शंख की तरह भेडियाधसान चिल्लाते रहें?
सोमवार, नवंबर 28, 2011
wall mart ka swagat hai /////////magar
हमारा देश सैदेव थोड़े थोड़े दिनों मैं बुखार से पीड़ित हो जाता है. कभी रामदेव . का बुखार,कभी अन्ना का बुखार, कभी चिदंबरम और वित्त मंत्री की चिट्ठी का बुखार न जाने कैसा कैसा बुखार.अभी ताजा बुखार fhir आया है, और वह है वाल्ल्मार्ट का बुखार. किराने के खुदरा व्यापार के लिए करने के लिए सरकार ने वाल्ल्मार्ट को इक्कावन प्रतिशत पूंजी की हिस्सेदारी की निवेश की अनुमति दी है.एक बवंडर मचा है.क्या मायावती,क्या उमाभारती ,मूंदे,रशीद अल्वी, प्रणव डा आनंद शर्मा बार बार कपडे बदलकर टी वी चेनलों पर आ रहे हैं.अपने अपने तर्क प्रस्तुत कर रहें हैं.इस क्षेत्र मैं यानि खुदरा व्यापार मैं शून्य या जीरो तकनीक काम मैं आती है. विदेशी कम्पिनियाँ ऐसे क्षेत्र मैं क्यों नहीं आती.जिसमे उन्नत तकनीक काम मैं आती हो. जैसे विमानन,पनडुब्बी,कम्पुटर मिसाइल,ड्रोन हवाई जहाज आदि. किराने के खुदरा व्यापार मैं केवल पूंजी और प्रबंध चाहिए. तकनीक नहीं. और हम न पूंजी मैं कम हैं न प्रबंध मैं कम हैं. महिला.पुरुषों ,बच्चों के वस्त्र,तेल साबुन, बोतलबंद पानी,पेय आदि मैं तकनीक नहीं चाहिए. आज एयर इण्डिया और इंडियन एयर लाइन्स मृत शैय्या पर पड़े हैं. उपग्रह लांचिंग मैं हमें कुछ सामग्री बहार से मांगना पड़ती है ,पनडुब्बी हम विदेशों से खरीदते हैं. ड्रोन विमान हमारी कल्पना से बहार हैं,सुपर कम्पुटर हमारे यहाँ बन चूका है मगर व्यापक स्तर पर नहीं. विदेशी कम्पनियाँ ऐसे क्षेत्रों मैं क्यों कर नहीं आती?और हमारी सरकार उन्हें क्यों नहीं बुलाती?केंचुकी ईड चिकन,जींस,टी शर्ट ,कोकोकोला ,क्रीम आदि उत्पादों मैं इनकी जरूरत नहीं है. सरकार वाल्ल्मार्ट और अन्य कंपनियों को बुलाये मगर पहिले तकनीक वाले क्षेत्रों मैं आमंत्रित करें /वाल्ल्मार्ट का स्वागत है मगर पहिले तकनीक वाली कम्पनियां आगे आवे.
रविवार, नवंबर 27, 2011
vaicum cleaner ke liye sthai sanyojan
रेलवे स्टेशनों पर सफाई के लिए वैक्कुम क्लीनरों का उपयोग किया जाता है.इस मशीन से सफाई करते रहने एवं कचरा खींचने मैं उर्जा और श्रम कम लगते हैं. मगर इसे चलते रहने के लिए विदुयतसंयोजन के तार एक बड़ी और भारी केबल मैं होते हैं,/इस केबल को एक सिरे से दुसरे सिरे तक खींचते रहने मैं बहुत ज्यादा परिश्रम एवं उर्जा लगती है. /अतः हो यह रहा है की सफाई कर्मचारी को इस मशीन को चलते रहने के लिए भारी,लम्बी केबल को उठाने ,खींचने ,पलटने मैं अधिक श्रम और उर्जा लगती है. जो उर्जा का एक नुकसान है. इसकी बजाय जिस तरह बल्ब, tube लाइट ,डिस्प्ले बोर्ड के लिए ऊपर स्थायी कनेक्शन होते हैं, उसी प्रकार इस मशीन के लिए भी एक स्थाई कनेक्शन दे दिया जाय और इसके साथ एक ऐकड़ी नुमा खड़ा तार जोड़ दिया जाय /ठीक उसी तरह जैसे रेल इन्जीन के साथ साथ एक ऐकड़ी चलती है और वह ऐकड़ी बिजली के संयोजन को बनाए रखती है और इन्जीन गाड़ी को खेंचता रहता है. इस युक्ति से सफाई कर्मचारी की वह उर्जा जो लम्बी,भारी केबल को खीन्चेने मैं व्यर्थ जा रही है उसका उपयोग कचरा उठाने मैं ,कचरे को खींचने मैं हो सकेगा. और श्रमिक की काम करने की दक्षता बढ़ेगी. इस विभाग के पास बिजली और यांत्रिकी के अभियंताओं की कमी नहीं हैं. जब रतलाम मंडल मैं एक हीरे की आकृति का क्रास्सिंग बन सकता है,जो कल्पना से परे है तो ऐसा बिजली संयोजन भी हो सकता है.
शनिवार, नवंबर 26, 2011
dono deshon ke nyayaadheeshon ka aabhar.
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश श्री न्याय मूर्ति इफ्तेखार चौधरी की अध्यक्षता मैं बनी १७ सदस्यीय समिति एक याचिका के सन्दर्भ मैं निर्णय दिया है की पाकिस्तान के भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ जो मुकद्दमे चल रहे थे ,और बंद कर दिए गए थे वे पुनः खुलेंगे. और इन नेताओं को आम माफी भी नहीं दी जाएगी. भारत मैं भी दो गी स्पेक्ट्रम के मामले मैं कई दिग्गज नेताओं की दलील थी की इस मैं जो नुकसान बताया गया है वह ''शून्य नुकसान'',नोशनल लोस या किताबी नुकसान हैं. किन्तु माननीय न्यायालय ने इन नेताओं के तर्कों और सरकार की दलीलों पर कोई ध्यान न देते हुए शीग्र कार्रवाही करने को कहा.परिणाम हमारे सामने हैं. कैसे करोंडो की धनराशी इस खाते से उस खाते मैं गयी?और कैसे एक के बाद एक नेता और दिग्गज तिहाड़ मैं गए. दोनों देशों के नेताओं ने कोहराम मचा रखा है. गरीब ठेलेवाला,हम्माल,आदिवासी,दिहाड़ी मजदूर चोरी करे तो वह भयंकर अपराधी.जब की उसे पेट भरने और बच्चों का इलाज करने उनके पढाई लिखाई का इंतजाम करने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है. इसे सजा,जेल,हथकड़ी, आदि आदि. और इन नेताओं को आम माफी. जो गुल्छारें उडाएँ,सोने के पलंग पर सोयें,सोने का बेल्ट पहिने.लाख दस लाख से व्यापार आरम्भ कर दस पाँच सालों मैं अरबपति हो जाएँ. इन के पास हवाई जहाज आ जाएँ .इन्हें माफी. क्या चिंतन है/दोनों देशों के न्यायमूर्ति बधाई के पात्र हैं.इन आदरणीय न्याय मूर्तियों ने दोनों देशों की जनता के साथ न्याय तो किया ही है ,उन्हें एक अन्धकार मैं प्रकाश का मार्ग बताया है.
गुरुवार, नवंबर 17, 2011
pranav DA vastav main DA
कांग्रेस नीट यु.पी.ए२ केग की रिपोर्ट से परेशां है.इस रिपोर्ट के प्रभाव से कई दिग्गज राजनीतिग्य और औध्योगिकघरों के रसूखदार लोग तिहाड़ जेल मैं बंद है. सरकार की विश्व नीयता और नीयत पर संदेह की निगाह से देखा जा रहा है. हालाँकि ऐसी बात नहीं है.फिर भी केग की वार्षिक वर्षगांठ के अवसर पर बोलते हुए प्रणव मुखर्जी ने केग की मुक्त कंठ से प्रशंसा करते हुए कहा है की केग ने अपने उत्तरदायित्व को निभाया.कार्यकुशलता से कम किया और कर्तव्य को पूरा किया. जहाँ एक और कई नेता केग द्वारा इंगित किये गए नुकसान को किताबी नुकसान या नोशनल लोंस बताते हैं वहां प्रणव दा केग की तारीफ करतें हैं.प्रणव दा वित्तमंत्री हैं/सरकार मैं नम्बर २ पर हैं/कांग्रेस और सरकार के संकट मोचक हैं/कई समितियों के अध्यक्ष हैं/मंत्री समूहों की समिति के अध्यक्ष हैं/किन्तु इन सब पदों से ऊपर उठकर वे प्रणव दा हैं. वास्तव मैं प्रणव जी ''दा'' हैं./
बुधवार, नवंबर 16, 2011
computer,kishor aur dimag aur praudh
बेल्जियम के घेंट विश्व विद्यालय के शोध वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन मैं पाया की कम्पुटर पर बड़ी देर तक खेल खेलने वाले किशोरों की दिमागी रचना अलग किस्म की होती है. इनका दिमाग तार्किक होता है. अध्यन से यह पता चलना शेष है कि ये गेम खेलने से दिमाग तार्किक होता है या पहिले से तार्किक गेम वाले यह खेल खेलना पसंद करतें हैं/ इम्पेरिअल कालेज लन्दन के डाक्टर बौडेन जोंस का कहना है कि यह अध्यन स्नायु और नसों सम्भंधी बिमारियों के निदान मैं कारगर होगा. डाक्टरों ने प्रौढ़ों को सलाह दी है कि वे कम्पुटर पर बैठे ता कि उनके दिमाग कुंद,चिडचिडे और भुल्भुले न हों.हो सकता है ऐसे शोध हमारी पीढी को मददगार साबित हो.
मंगलवार, नवंबर 15, 2011
bail out packege .
आजकल ओद्योगिक घरानों मैं एक परंपरा चल पडी है, और यह तब से बढ़ गयी है जब से भूमंडलीकरण आरम्भ हुआ है. एक और तो बड़े बड़े कर्पोराते सेक्टरों को बेल आउट पैकेज दिया जाता है जो १/२ करोड़ का नहीं बल्कि हजारों करोड़ों मैं होता है.जैसे अभी किंग फिशेर एयर लाइंस को घाटा हुआ है /नागरिक उड्डयन मंत्री वैय्लर रवि वित्तमंत्री से बात करेंगे और सर्कार से गुहार लगायेंगे की किंग फिशेर को बैल आउट पैकेज दे.ता की यह एयर लाइंस बंद न हो. क्या सर्कार ने कभी यह सोचा है की गाँव और शहरों मैं जो छोटे छोटे दुकानदार,मेकेनिक,ची नमकीन बेचकर गुजारा करने वाले कई बार संकट ग्रस्त हो जातें हैं ,उन्हें दुकान बंद कर देनी पड़ती है. राषट्रीय और राज्ज्य मार्गों पर कई खाने पीने की दुकाने,ढाबे,पंचेर सूधारने की दुकाने नुकसान के कारण बंद करना पड़ते हैं.इन छोटे छोटे संस्थानों के मालिक महगा और विलासी जीवन नहीं जीते. विजय मल्ल्या की तरह किसी क्रिकेट टीम को प्रायोजित नहीं करते. इनके लिए कभी बैल आउट पकेजे की बात सामने आयी क्या?राहुल बजाज भी कार्पोरेटसेक्टर मैं एक आदरणीय हस्ताक्षर हैं. उनकी सलाह कितनी सही है की घाटे के कारण यदि किंग फिशेर बंद होता हो तो हो. एक और सरकार कर्मचारियों के लिए परंपरागत पेंशन बंद कर नए नियम ला रही है.पेंशन को अंशदायी बनाकर उसे ब्बजार से जोड़ रही है. ता की बाजार घाटे मैं जाय तो पेंशन देने के लिए सरकार बाध्य नहीं. २००४ के बाद सेवानिव्व्रत होने वाले कर्मचारी को अंशदायी पेंशन होगी.सरकार क्यों कर पशचिमी देशो की नक़ल कर रही है. अमेरिका.ग्रीस.आदि शसक्त देशो की हालत आज क्या है?उनके उद्योग ,बैंके,घाटे मैं क्यों हैं?बार बार बैल आउट पैकेज देने के बाद भी वहां आर्थिक मंदी क्यों हैं/ इसके कारण खोजना तो दूर हम नकाची बन्दर की तरह अँधा अनुसरण ही किये जा रहें हैं/ जब की प्रधानमंत्री ने स्वयं जी ८ देशों के सम्मलेन मैं कहा है की भू मंडलीकरण का लाभ आम आदमी को नहीं मिल रहा है. सरकार इस दिशा मैं सोचे और ये बैल आउट पकेज देना बंद करे.किसान कृषि कर्जन देने के कारण अपनी बेल जोड़ी ,ट्रक्टर नीलम होने दे.और आत्म हत्या कर ले ,गरीब दुकानदार घटा होने के कारण दोकान बंद कर दे और भीख मांगने लग जाय.उसे कोई मदद नहीं और इन बेल आउट मांगने वाले आरब पतियों की विलासिता मई कोई कमी नहीं. कब तक चलता रहेगा?
सोमवार, नवंबर 14, 2011
kamran aklam ki salaah.
पाकिस्तान के क्रिकेटर कामरान अकलम ने सलाह दी है की क्रिकेट खिलाडियों के बैंक खातोंकी जाँच हर छछ माह में होनी चाहिए.ता की स्पोट फिक्सिंग और मेच फिक्सिंग की जाँच हो सके. मई कामरान अकलम को धन्यवाद देता हूँ.उनकी सलाह ने एक नया रास्ता बता दिया है. इस सलाह को आगे विस्तृत करते हुए मैं भारत और पाकिस्तान की सरकारों से हाथ जोड़कर निवेदन करता हूँ की केवल खिलाडी ही नहीं बल्कि प्रत्येक सांसद,विधायक और प्रथम श्रेणी अधिकारी से यह नेक कम करवाया जाय/ इतना ही नहीं इन महाशयों से हर वर्ष आय सम्बन्धी शपथ पात्र भी भरवाया जाय जिस के द्वारा यह मालूम हो सके की इन महाशय की आय का ग्राफ कब कब ऊँचा गया.अन्ना जी के बिल से जब प्रभाव पड़ना हो पड़ेगा ,किन्तु बैंक खातो की जानकारी और शपथ पत्र से फरक जरूर पड़ेगा./
सोमवार, नवंबर 07, 2011
ubharte grameen vidhylay.
छोटे छोटे गांवों मैं कई माध्यमिक और उच्य्तर माध्यमिक विद्यालय हैं. इन सुविधाविहीन शालाओं मैं अधोसंरचना की कमी है. खेल का मैदान नहीं है,पीने के पानी नहीं है, बरसात मैं छत मैं से पानी गिरता है. आदि आदि. ऐसा एक गाँव रतलाम के निकट है. छोटासा गाँव सेजावता. यहाँ के बच्चे और शिक्षक बहुत परिश्रमी. जहाँ रतलाम जिला मुख्यालय के हाई स्कूल का परीक्षा परिमाण पचास /साठ तक मुश्किल तक पहुँच पता है वहां इस गाँव के स्कूल का परीक्षा परिमाण ९८/१०० प्रतिशत तक रहता है. अभी मध्य प्रदेश मैं राषट्रीय जनसँख्या मिशन द्वारा भोपाल मैं एक राज्य स्तरीय रोल प्ले स्पर्धा आयोजित की गयी .सेजावता की छातराओंने इसमें भाग लिया.लघु नाटिका का विषय था ''जीत एड्स से ''इस नाटिका के लेखक हैं रतलाम के युवा साहित्यकार आशीष दशोत्तर और नाटिका का निर्देशन किया यहाँ की विज्ञानं शिक्षिका विनीता ओझा ने. उल्लेखनीय यह है की मध्य प्रदेश के ३८ मैं से छतीस UTKRASHAT विद्यालय इस स्पर्धा मैं भाग लेने आये थे .इन ऊँचे दर्जे के विद्यालयों से टक्कर लेने के लिए एक अदना सा विद्यालय और वह भी स्पर्धा मैं प्रथम स्थान .पर आया. अब ये छात्राएं अखिल भारतीय स्तर पर भाग लेने हेतु १७ नवम्बर को कोयम्बतूर को प्रस्थान करेंगी. ऐसे विद्यालय,नाटिका के लेखक .नाटिका की निर्देशिका बधाई के पात्र हैं .ऐसे लोगों का सम्मान प्रदेश स्तर पर होना चाहिए.विनीता ओझा विज्ञानं और हिंदी की शिक्षिका भी है. और इन विषयों का परीक्षा परिमाण भी लगभग १०० प्रतिशत होता है. संभाग आयुक्त (रेवेन्हु) ने ऐसे विद्यालयों को अपने संभाग मैं विशेष स्थान देकर उनकी अधोसंरचना के लिए शासन से अलग से आबंटन मंजूर करवाना चाहिए. ऐसे विद्यालयों को अलग से ग्राडिंग देकर और चिन्हित कर उनकी एक विशेष दर्जे की सूचि मैं नाम हों. ता की जब शासन की आबंटन की योजनायें आये तो उन्हें जिलाधिकारियों के विवेक पर निर्भर न रहते हुए अपने आप इसका लाभ मिल जाये. साथ ही जिस प्रकार पुलिस मैं गंभीर अपराधियों को पकड़ने पर पदोन्नति देने का प्रावधान है इसी प्रकार ऐसे प्रतिभावान शिकशों को पद्दों नाती नहीं तो कम से कम एक वेतन वृद्धि का तो प्रावधान हो.
bharat ki sahbhagita nahee
मंगलग्रह पर जाने की तैय्यारी के क्रम मैं पांचसौ बीस दिन तक एक स्टील टुब मैं ४/ ७ लोगों को रकः गया. हालाँकि यह मिशन बहुत महंगा था. इसकी आलोचना भी हुई. किन्तु उल्लेखनीय यह है की इस मिशन मैं भारत के वैज्ञानिकों की कोई सहभागिता नहीं ली गयी. भू मंडली करण के दौर मैं वैज्ञानिक प्रयोगों मैं विकास शील देशों के युवकों की सहभागिता भी ली जानी चाहिए. विदेशी कम्पनियां हमारे देश मैं शून्य यांत्रिकी (जीरो टेक्नोलोजी)के उद्योगों मैं बढचढ कर भाग लेती हैं. जैसे बिसलेरी के पानी ,केन्चकी चिकन, साबुन तेल ,शेम्पो आदि. किन्तु अन्तरिक्ष ,और वैमानिकी के क्षेत्र मैं हमारे लोगों को प्रशिक्षित भी नहीं करती और न हमें वह ज्ञान ही प्रदान करती है. हमें हमारा रास्ता खुद ही खोजना होगा.
मंगलवार, अक्टूबर 18, 2011
juta,chappal,ghunsa culture
जूता ,चप्पल,घूंसा और लात संस्कृति आजकल बड़ी प्रचालन मैं है/ प्रशांत भूषण को लात से मारो.केजरीवाल पर चप्पल का प्रयोग करो, आदि आदि .उधर विधानसभाओं मैं माइक,कुर्सी फेंको,गंदे और असंसदीय इशारे करो. यह प्रजातान्त्रिक देश के लक्षण नहीं. चरवाक ने पुनर्जनम के सिध्हांतकी खिल्ली उड़ाई ,राजाशाई होते हुए भी किसी राजा ने चर्वक पर कोई कारवाही नहीं की. फिर प्रजातंत्र मैं ये बातें कैसे हो रही हैं/सत्ताईस रूपये के पीछे दिल्ली मैं हत्या हो जाती है,चाय ,नाश्ता के मामूली सवालों पर मारपीट .? हमारे समाज को हो क्या गया है. सहनशीलता .शांति ,सब कहाँ चली गयी. क्या हमारे धर्मोपदेशक सही सन्देश देने मैं असमर्थ हैं? क्या ये मठादिश केवल बड़े बड़े मठ बनाने,पत्रिकाएं निकालने ,धर्म के नाम पर केवल संपत्ति इक्कठी करने को ही धर्म समझ बैठे हैं? भगवान जाने इस जगदगुरू कहलाने वाले देश का क्या होगा.
शुक्रवार, सितंबर 30, 2011
nura kushati
बचपन मैं नूराकुश्ती के बारे मैं कई किस्सों मैं इस कुश्ती का वर्णन आता था.आखिर नुराकुश्ती होती क्या है,बड़े दिनों तक समझ नहीं आया.इसका एक कारन तो यह है की मैं स्वयं बचपन मैं अखाड़े मैं जाया करता था. मैं क्या मेरी उम्र के जो वरिष्ट नागरिक हैं लगभग सभी गाँवों मैं रहने वाले अखाड़े मैं जाते रहे होंगे.अखाड़े मैं होने वाली कुश्तियों मैं या तो जीत होती थी या हारहोती थी.उस्ताद दावं सिखाते ,जिसको दावं आता और मेहनत करता उसे उस्ताद विशेष प्रशिक्षण देते.इसके लिए उन्हें कोई अलग से कोचिंग फी अदा करना नहीं पड़ती थे.उम्र के पचीस साल तक नुरा कुश्ती का नाम तक अखाड़े मैं सुनने मैं नहीं आता था.यहाँ तक की राजनीती मैं भी राजनीतिज्ञों के बीच नुरा कुश्ती का नामनिशान सुनने मैं नहीं था. मगर पिछालेदिनों नहीं पिछले २० वर्षों से इस प्रकार की कुश्ती बहुत सामान्य हो गई है. भाजपा और कटियार जी का मतभेद हुआ तो कांग्रेस वाले कहतें हैं की ये नुरा कुश्ती है. अमर्सिंघ्जी और मुलायाम्सिंघ्जी के बीच तकरार हुई तो लोग कहेंगे नुरा कुश्ती है .शरद जी कांग्रेस से अलग हुए तो नुरा कुश्ती है /इसका मतलब यह हुआ की राजनीती मैं नुरा कुश्ती आम हो गयी है.अभी अभी प्रणव दाऔर चिदंबरम की कुश्ती को मीडिया ने खूब उछाला.मन मोहन सिंह जी ने भी जल्दबाजी नहीं की ,बोले रुको दिल्ली लौटने के बाद बात करता हूँ.मीडिया को लगा अब पहलवान लड़े.सिंह साहेब बोले रुको/सिक्किम जा कर आता हूँ.मीडिया को लगा की अब तो लड़े ही लड़े. उधर मैदान .दर्शक, मीडिया की गाड़ियाँ माइक ,फोटोवाले,केम्रामन एकदम तैयार .इधर लोगों को लगा की सर्कार अब गयी तब गई . बड़े बड़े लोग मैदान मैं हाजिर. साक्षात्कार मैं चिदंबरम जी बोले प्रणव दा मेरे से वरिष्ट हैं मैं उनका सम्मान करता हूँ. . और उन्होंने जो कहा की इस पत्र मैं लिखे गए विचार मेरे नहीं हैं इसका मैं सम्मान करता हूँ.किस्सा यहीं समाप्त समझिये. एक मनचले ने चुटकी ली आपने तो इशिपा देने की बात कही थी ,बोले वो मुझे याद नहीं .अब मुझे समझ आया की याददाशत का कमजोर पड़ जाना,कम सुने देना,और नुरा कुश्ती मैं विशेषज्ञता किअतनी कम की चीजें हैं?
मंगलवार, सितंबर 27, 2011
१०० सेकण्ड और १०० दिन
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री डेविड केमरून ने भारत के खिलाड़ियों को उनके यहाँ होने वाले ओलम्पिक मैं भाग लेने हेतु र्हदय से आमंत्रित किया है.कमरून ने यह भी कहा है की भारतीय उद्योगपति भी आमंत्रित हैं.आपने अपने देश की तारीफ़ करते हुए कहा है की यहं उद्योग और निवेश की अपार सम्भावनाये हैं. ब्रिटेन मैं १०० सेकण्ड मैं एक कम्पनी जनम लेती है. हमारे भारत मैं १०० से. तो ठीक १०० दिन मैं उद्योग या निवेश करने का विचार तक नहीं आ सकता. हम ब्रिटेन से अभी भी १०० साल पीछे हैं. बाबा रामदेव,अन्ना ,२जी घोटाला आदि से सर्कार को फुर्सत ही नहीं .एक के बाद एक विषिस्टव्यक्ति कारावास मैं जा रहे हैं.देश का एक तिहाई हिस्सा भयंकर वर्षा से ग्रस्त है.सिक्किम मैं भूकंप है. उमरअब्दुल्ला मेहमान नवाजी मैं मस्त हैं.राहुलजी सिक्किम का हवाई दौरा कर सिक्किम वासियों का दर्द समझने की कोशिश कर रहें हैं.जब की फ़ौज के लोग कह रहें हैं की अति विषिस्ट और सुरक्षा प्राप्त विषिस्ट व्यक्तियों को सिक्किम नहीं आना चाहिए. उधर मोदीजी का उपवास समाप्त हुआ है.केमरू न जी आप बेफिक्र रहें आपके यहाँ हमारे उद्योगपति निश्चित आयेंगे.
मंगलवार, सितंबर 20, 2011
उपवास
गुजरात मैं ३ दिनी उपवास का समारोह समाप्त हुआ. सांसद,नेता,सामाजिक कार्यकर्ता, धर्मगुरु,मंच पर हाजिर.उधर सिक्किम मैं जमीन से २० की.मी.नीचे भूगर्भीय हलचल से सड़क,पूल,नष्ट.कई मकानऔर जाने गयीं.भोजन ,दवाएँ ,आवास,पूर्ति मैं कठिनाई. गुजरात मैं मंच पर हाजिर विशिस्ट मैं से सिक्किम मैं जाने का साहस किसी मैं नहीं .वहां आईटीबीपी ,बीअस्फ़ के जवान प्राण हथेलियों पर रखकर तैयार.विशेष राहत शिविरों मैं पीड़ितों को संभवतया सहायता उपलब्ध की जा रही है. गुजरात के वर्त्तमान और भू,पू. मुख्य मंत्री के उपवास का विरोध और समरथन करने वालों मैं से कितने विशिष्ट जन सिक्किम पहुंचेंगे /
शुक्रवार, सितंबर 16, 2011
trust /nishta
सड़क किनारे बैठकर गाड़ियों की ताले की चाबी बनाने वाले कारीगर के चार बेटे. चरों बेटे अपनी पत्नियों के साथ पिता के साथ रहते हैं.बड़े दिन क्या सालों के बाद मैं इस आदमी से मिला.जिग्याशावशपूछा मकान वकान बनाया की नही? वह बोला सर.मेरे पिता कहते थे ''कर लिया सो काम'',भज लिया सो राम ''. मैंने २० वर्ष पूर्व एक प्लाट ले लिया था.उसी पर जरूरत पुरता माकन बना लिया है.चरों बेटों के अलग अलग कमरे हैं.मैं उसे ठगा सा देक्खता और सुनाता रहा. इस आदमी को अपने पिता पर .भगवान पर और अपनी संतानों पर कितना विश्वास ''. दूसरी और मेरे सफेदपोश नौकरशाह दोस्त.एक और दो पुत्रों को अच्छा पढ़ा लिखा दिया मकान बनाकर दिया.फिर भी सपूत ऐसे की अलग रहतें हैं यहाँ तक तो ठीक है.लड़ते अलग हैं.इन लोगों को न तो अपने पिता पर,न अपने पुत्रों पर विश्वास है और न इन्हें भगवान के बहन पर भरोसा है.क्या हमारा प्रगतिशील कहलाने वाला समाज इन मामूली से काम कर अपनी जीविका चलाने वाले लोगों से कुछ सीखेगा./
गुरुवार, सितंबर 15, 2011
hindi divas par vishesh
कंप्यूटर के क्षेत्र मैं हिंदी मैं लिखने की बड़ी दिक्कत थी.कई लोगों ने परिश्रम किया ,ता की आम आदमी हिंदी मैं कुछ लिख सके कुछ पढ़ सके.एक लम्बी सूचि है ऐसे हिंदी साधकों की. इस सूचि मैं एक नाम रवि रतलामी है है जो हिंदी का सच्चा साधक है.यह व्यक्ति अक सेवानिव्र्रत अभियंता है. स्वास्थके हिसाब से सामान्य/ मगर जीवटऔर कर्तृत्व का धनी.गजब का धुनी.मेरे जैसे आलसी आदमी को संगणक सीख लेने ,ब्लॉग को हिंदी मैं लिखने की प्रेरणा देने वाला अकिंचन हिंदी साधक. हर शहर मैं ऐसे २/४ आदमी हो जाएँ तो हिंदी जगत का विकास होगा. रविजी पेशे से इंजिनियर ,शिक्षा दीक्षा अंग्रेजी मैं हुई किन्तु हिंदी के सच्चे सेवक.इन्हें न किसी पुरस्कार की दरकारहै और न किसी पद की चाह है. इस ब्लॉग पर हिंदी मैं लिखते समय मैं रोमांचित हो जाता हूँ.औए इसका श्रेय मैं रविजी को देता हूँ.
रविवार, सितंबर 11, 2011
ganesh visarjan
. , गणेश विसर्जन के बाद नदियों मैंप्रदुषण बढ़ जाता है/मछलिया मर कर उप्पर आ जाती हैं/ ऐसा गतवर्ष पुष्करमैंहुआ था/ हमारे धर्माचार्य जो रत दिन जीव हिंसा कीनिंदा करतें हैं क्यों नहीं इस विसर्जन के बारे मैंअपनी राय व्यक्त करते हैं?हम लोग कट्टरपंथी नहींहैं/हमसुधार वादी हैं/जिन परम्पाराओं से हमारे जीवजगत को और जैव विविधता को नुकसान पहुंचता हो उन्हें सुधार लेने मैंक्या हर्ज़ है? गंनपतिबप्पा कीमूर्ति कितनी भी बड़ी बने ,मगर उस पर बजाय तेज रसायन के हर्बल या जैविक रंगों का प्रयोग करें तो क्या हर्ज़ है? धर्माचार्य अपने प्रवचनों मैं ऐसी महत्वपूर्ण औरपर्यावरण सुधारकी सीखदें तो कितना पुण्य कर्म होगा ?
evil sprits
.. . लगभग हर धर्म मैं आसुरी शक्तियों का उल्लेख आता है/ सनातन धर्म मैं आसुरी शक्तियां, इस्लाम मैंशैतान के बारे मैं जिक्र इसाई धर्ममैं एविल स्प्रिट ,बुद्ध धर्ममैं मार काउल्लेखहै/इसका तात्पर्य हरेक धर्म मैंआसुरीशक्तियां अनिवार्यता लिए हुए हैं.हरसमय मैंआसुरीशक्तियोंने आम आदमियों केजीवन को कष्ट दिया है.क्याकभी ऐसा होगा की आसुरीशक्तियोंसे हमें छुटकारा मिल जावे/
शुक्रवार, सितंबर 09, 2011
pakistan mai hinduon ki sthiti
. . / भारतमैं,मुस्लिम भाइयों मैं ऊँचे दर्जे केकलाकार, चित्रकार, खिलाडी ,अभिनेता ,उधोगपति , राजनयिक हैं तथा ,बिना भेदभाव केउन्हें अछे अवसर मिलते हैं/ पाकिस्तान मैं कोई हिन्दू इस काबिल नहीं की दो चार नाम लेने के लिए भी हों?पाकिस्तान केनेताओं को समझ लेना चाहिए की किसी टेलेंट की उपेक्षा देश केहितों केलिए ठीक नहीं
सदस्यता लें
संदेश (Atom)