पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश श्री न्याय मूर्ति इफ्तेखार चौधरी की अध्यक्षता मैं बनी १७ सदस्यीय समिति एक याचिका के सन्दर्भ मैं निर्णय दिया है की पाकिस्तान के भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ जो मुकद्दमे चल रहे थे ,और बंद कर दिए गए थे वे पुनः खुलेंगे. और इन नेताओं को आम माफी भी नहीं दी जाएगी. भारत मैं भी दो गी स्पेक्ट्रम के मामले मैं कई दिग्गज नेताओं की दलील थी की इस मैं जो नुकसान बताया गया है वह ''शून्य नुकसान'',नोशनल लोस या किताबी नुकसान हैं. किन्तु माननीय न्यायालय ने इन नेताओं के तर्कों और सरकार की दलीलों पर कोई ध्यान न देते हुए शीग्र कार्रवाही करने को कहा.परिणाम हमारे सामने हैं. कैसे करोंडो की धनराशी इस खाते से उस खाते मैं गयी?और कैसे एक के बाद एक नेता और दिग्गज तिहाड़ मैं गए. दोनों देशों के नेताओं ने कोहराम मचा रखा है. गरीब ठेलेवाला,हम्माल,आदिवासी,दिहाड़ी मजदूर चोरी करे तो वह भयंकर अपराधी.जब की उसे पेट भरने और बच्चों का इलाज करने उनके पढाई लिखाई का इंतजाम करने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है. इसे सजा,जेल,हथकड़ी, आदि आदि. और इन नेताओं को आम माफी. जो गुल्छारें उडाएँ,सोने के पलंग पर सोयें,सोने का बेल्ट पहिने.लाख दस लाख से व्यापार आरम्भ कर दस पाँच सालों मैं अरबपति हो जाएँ. इन के पास हवाई जहाज आ जाएँ .इन्हें माफी. क्या चिंतन है/दोनों देशों के न्यायमूर्ति बधाई के पात्र हैं.इन आदरणीय न्याय मूर्तियों ने दोनों देशों की जनता के साथ न्याय तो किया ही है ,उन्हें एक अन्धकार मैं प्रकाश का मार्ग बताया है.
शनिवार, नवंबर 26, 2011
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें