सड़क किनारे बैठकर गाड़ियों की ताले की चाबी बनाने वाले कारीगर के चार बेटे. चरों बेटे अपनी पत्नियों के साथ पिता के साथ रहते हैं.बड़े दिन क्या सालों के बाद मैं इस आदमी से मिला.जिग्याशावशपूछा मकान वकान बनाया की नही? वह बोला सर.मेरे पिता कहते थे ''कर लिया सो काम'',भज लिया सो राम ''. मैंने २० वर्ष पूर्व एक प्लाट ले लिया था.उसी पर जरूरत पुरता माकन बना लिया है.चरों बेटों के अलग अलग कमरे हैं.मैं उसे ठगा सा देक्खता और सुनाता रहा. इस आदमी को अपने पिता पर .भगवान पर और अपनी संतानों पर कितना विश्वास ''. दूसरी और मेरे सफेदपोश नौकरशाह दोस्त.एक और दो पुत्रों को अच्छा पढ़ा लिखा दिया मकान बनाकर दिया.फिर भी सपूत ऐसे की अलग रहतें हैं यहाँ तक तो ठीक है.लड़ते अलग हैं.इन लोगों को न तो अपने पिता पर,न अपने पुत्रों पर विश्वास है और न इन्हें भगवान के बहन पर भरोसा है.क्या हमारा प्रगतिशील कहलाने वाला समाज इन मामूली से काम कर अपनी जीविका चलाने वाले लोगों से कुछ सीखेगा./
शुक्रवार, सितंबर 16, 2011
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1 टिप्पणी:
Bahut khub
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