रविवार, सितंबर 11, 2011

ganesh visarjan

   .       ,    गणेश विसर्जन के बाद नदियों मैंप्रदुषण बढ़ जाता है/मछलिया मर कर उप्पर आ जाती हैं/ ऐसा गतवर्ष पुष्करमैंहुआ था/ हमारे धर्माचार्य जो रत दिन जीव हिंसा कीनिंदा  करतें हैं क्यों नहीं इस विसर्जन के बारे मैंअपनी राय व्यक्त करते हैं?हम लोग कट्टरपंथी नहींहैं/हमसुधार वादी हैं/जिन परम्पाराओं से हमारे जीवजगत को और जैव विविधता को नुकसान पहुंचता हो उन्हें सुधार लेने मैंक्या हर्ज़ है? गंनपतिबप्पा कीमूर्ति कितनी भी बड़ी बने ,मगर उस पर बजाय तेज रसायन के  हर्बल या जैविक रंगों का प्रयोग करें तो क्या हर्ज़ है? धर्माचार्य अपने प्रवचनों मैं ऐसी महत्वपूर्ण औरपर्यावरण सुधारकी सीखदें तो कितना पुण्य कर्म होगा ?

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