हमारा देश सैदेव थोड़े थोड़े दिनों मैं बुखार से पीड़ित हो जाता है. कभी रामदेव . का बुखार,कभी अन्ना का बुखार, कभी चिदंबरम और वित्त मंत्री की चिट्ठी का बुखार न जाने कैसा कैसा बुखार.अभी ताजा बुखार fhir आया है, और वह है वाल्ल्मार्ट का बुखार. किराने के खुदरा व्यापार के लिए करने के लिए सरकार ने वाल्ल्मार्ट को इक्कावन प्रतिशत पूंजी की हिस्सेदारी की निवेश की अनुमति दी है.एक बवंडर मचा है.क्या मायावती,क्या उमाभारती ,मूंदे,रशीद अल्वी, प्रणव डा आनंद शर्मा बार बार कपडे बदलकर टी वी चेनलों पर आ रहे हैं.अपने अपने तर्क प्रस्तुत कर रहें हैं.इस क्षेत्र मैं यानि खुदरा व्यापार मैं शून्य या जीरो तकनीक काम मैं आती है. विदेशी कम्पिनियाँ ऐसे क्षेत्र मैं क्यों नहीं आती.जिसमे उन्नत तकनीक काम मैं आती हो. जैसे विमानन,पनडुब्बी,कम्पुटर मिसाइल,ड्रोन हवाई जहाज आदि. किराने के खुदरा व्यापार मैं केवल पूंजी और प्रबंध चाहिए. तकनीक नहीं. और हम न पूंजी मैं कम हैं न प्रबंध मैं कम हैं. महिला.पुरुषों ,बच्चों के वस्त्र,तेल साबुन, बोतलबंद पानी,पेय आदि मैं तकनीक नहीं चाहिए. आज एयर इण्डिया और इंडियन एयर लाइन्स मृत शैय्या पर पड़े हैं. उपग्रह लांचिंग मैं हमें कुछ सामग्री बहार से मांगना पड़ती है ,पनडुब्बी हम विदेशों से खरीदते हैं. ड्रोन विमान हमारी कल्पना से बहार हैं,सुपर कम्पुटर हमारे यहाँ बन चूका है मगर व्यापक स्तर पर नहीं. विदेशी कम्पनियाँ ऐसे क्षेत्रों मैं क्यों कर नहीं आती?और हमारी सरकार उन्हें क्यों नहीं बुलाती?केंचुकी ईड चिकन,जींस,टी शर्ट ,कोकोकोला ,क्रीम आदि उत्पादों मैं इनकी जरूरत नहीं है. सरकार वाल्ल्मार्ट और अन्य कंपनियों को बुलाये मगर पहिले तकनीक वाले क्षेत्रों मैं आमंत्रित करें /वाल्ल्मार्ट का स्वागत है मगर पहिले तकनीक वाली कम्पनियां आगे आवे.
सोमवार, नवंबर 28, 2011
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