शनिवार, दिसंबर 24, 2011

dellhi ki pahali varshganth

दिल्ली की पहली वर्षगांठ १९११ और स्वाभिमानी राजासयाजीराव गायकवाड /////////   सन २०११ दिल्ली की १०० वीं वर्षगांठ है. दिल्ली १९११मैं देश की राजधानी बनी. इसी वर्ष ब्रिटेन के राजा जोर्ज पंचम को भारत का महाराजा सम्राट घोषित किया गया. प्रथम बार कोई ब्रिटेन का राजा यहाँ समारोह के लिए व्यक्तिशः उपस्थित हुआ. जोर्ज पंचम के स्वागत के लिए भारत के लगभग छसोराजा नवाब वंदना करने हेतु एकत्रित हुए. राजाओं को सम्राट के सामने उपस्थित होकर अपना परिचय किस प्रकार दिया जाय,इसकी हिदायतें दी गयी. सर्वप्रथम परिचय, फिर तीन बार झुकना ,फिर बिना मुड़े पीछे चलकर अपना आसन ग्रहण करना. प्रत्येक राजा ने आचार संहिता का पालन किया. मगर बरोड़ा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड तृतीय इस आचार संहिता की धज्जियाँ उड़ादी. वे न तो तीन बार झुके ,और न पीछे हटतेहुए गए. बल्कि मुड़कर आसन पर आए. इतना ही नहीं व्यंगात्त्म्क और उपहासात्मक हंसी हँसते हुए आए. पूर्ण दरबार एकदम सन्न रह गया. इतिहासकार अमर फारूकी ने कहा है की महाराजा सयाजीराव गायकवाड ने का यह कदम बहादुरी पूर्ण था. सयाजीराव एक प्रगतिशील राजा थे. आपने बालविवाह पर रोक लगाई.बरोड़ा मैं सूती मिलें और बैंके आरम्भ की. प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य और निःशुल्क घोषित किया. डा. भीम राव जी आंबेडकर को स्नातकोत्तर शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता दी. डा.भीम राव जी हमारे संविधान निर्माता हैं. जिन पर पुरे देश को गर्व है. और सबके दिल मैं उनके प्रति बड़ा सम्मान है. सन १९११ मैं कोई यह भविष्यवाणी भी नहीं कर सकता था की तीन दशक बाद देश आजाद हो जायगा. उस जमाने मैं सयाजी राव गायक वाडका यह कदम बड़ा साहसपूर्ण था. वे प्रजा मैं बड़े लोकप्रिय थे. वे चाहते थे की प्रत्येक भारतीय स्वाभिमान और अन्तः प्रेरणा से ओतप्रोत हो.राजधानी दिल्ली की १०० वीं वर्ष गांठ पर बधाई और महाराजा सयाजी राव गायक वाड को श्रद्धा पूर्वक नमन.

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