शनिवार, अक्तूबर 18, 2008
अपना दोष सजा काबिल,दुसरे का माफी काबिल
वैसे अक्सर यह देखने मैं आता है की हम अपने दोषों को दोष नही मानते और दुसरे के दोषों ,गलतियों को न केवल दोष और गलती मानतें हैं बल्कि दंडनीय भी मानते हैं/खासकर अस्पतालों मैं डॉक्टरों और नुरसों के साथ दुर्व्यवहार की शिकायतें आम हैं /भीड़ तंत्र और भीड़ मानसिकता का आलम यह है की यदि मरीज की मृत्यु इलाज के दौरान अस्पताल मैं हो जाती है तो मरीज के परिजन भीड़ बनाकर अस्पताल मैं हंगामा कर देते हैं और डॉक्टरों तथा नुरसों के साथ गली गलोज यहाँ तक की मारपीट तक कर बैठते हैं/इसी प्रकार थानों पर अपने रिश्तेदार की गिरफतारी को अवैध बताकर ठाणे का घेराव करते हैं/ इन घटनाओं के चलते कोल्कता से एक अच्छा समाचार मिला है/ एक महिला रोगी का आपरेशन करते समय एक डॉक्टर से गलती हो गई /अपनी लापरवाही के लिए वे ख़ुद को जवाबदार मानते हुए ठाणे पर गए और स्वयं के लिए सजा की मांग की /और स्वयं ने स्वयं के खिलाफ ऍफ़.ई.आर.दर्ज करवाई/विशेष उल्लेखनीय यह है की महिला रोगी के परिजनों को डॉक्टर से कोई शिकायत नही है/अब पुलिस परेशां है की इस प्रकार के प्रकरण को जिसमें इमानदार डॉक्टर हो और संतोषी परिजन हों ,मामले को आख़िर कैसे निप्तायाजय /बुद्दः,महावीर,गांधी का यह देश एक न एक दिन दुनिया को क्षमाशीलता का संदेश देगा /
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2 टिप्पणियां:
kash sabhi loig aisa sochte! buddh ka sandesh padwane ke liye aabar.
बहुत ही अनुकरणीय उदाहरण है. एकदम गांधी जैसा. पर हममें से अधिकांश ऐसा नहीं कर पाते.
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