मंगलवार, अक्तूबर 28, 2008

थोक मैं सेवक

४ राज्यों के विधानसभाओं के प्रत्याशिचायण मैं उम्मीदवारों की भीड़ देखने काबिल है/ समर्थकों , राल्लिओं,धोल्धामाकों के साथ ये सेवा के इच्छुक पौंच रहें हैं/शहरों के चौराहों पट बड़े बड़े फ्लक्स,आदमकद बोर्ड .कीबाढ़ आ गई है/इन सेवकों को सेवा की इतनी उत्कट इच्छा है की टिकट के लिए इनके तर्क और मुद्दे गौर करने के काबिल हैं/मैं पाटीदार हूँ,मैं ब्रह्मण हूँ,मैं बलि हूँ ,मैं राजपूत हूँ,लोधी हूँ,मुस्लिम हूँ,आदि आदि तर्क/ इनके डेव ,प्रतिदावे देखकर आख़िर सवाल पैदा होता है की ये सेवा के इतने उत्सुक क्यों हैं?यदि दलों के शीर्ष नेताओं को इनसे निजात पाना हो तो एक तरीका है/ जो पहली बार टिकट के लिए आवेदन कर रहा हो,उसे एक वर्ष के लिए सेवा के क्षेत्र मैं जन होगा/जैसे कोसी की बढ़,कम पेय्जल्वाले क्षेत्र,शिक्षा से वंचित क्षेत्र,आदि/एनअस.अस.मैं २४०घन्ते सेवाकार्य करने पर प्रमाणपत्र दिया जाता है,अनसीसी .मैं ४५ परेड पर परीक्षा मैं बैठने की पात्रता आती है/इसी प्रकार सेवा के इच्छुक इन प्रत्याशियों के लिए भी कोई न कोई मापदंड निर्धारित होना चाहिए /कम से कम गजर्घन्सके उन्मूलन मैं,प्राथमिक शाला के बच्चों को पढाने मैं तो इनकी उपयोगिता सिद्ध हो/ और इन्हे जो प्रमाणपत्र जरी हों वे किसी संस्था से न होकर न्यायालय के द्वारा नियुक्त न्यायाधीश महोदय से हों /

2 टिप्‍पणियां:

अनुनाद सिंह ने कहा…

बहुत शुभ विचार है। हर स्तर के राजनेता के लिये भी एक न्यूनतम योग्यता निर्धारित होनी चाहिये। इसके साथ उन्हें समाज सेवा में एक से दस वर्ष का अनुभव भी होना चाहिये। इसके साथ उनकी एवं उनके सम्बन्धियों की व्यक्तिगत पूंजी एक सीमा से अधिक होने की दशा में उन्हे कोई भी राजनीतिक पद नहीं दिया जाना चाहिये।

navyugbodh ने कहा…

bahut bodprad lekh hai .kavita bahut achhi lagi