मंगलवार, अक्तूबर 14, 2008
बिना सलाह-मशविरे के आज्ञां ऐं जारी न करें
आजकल धर्म के जानकारों के द्वारा सीधे आदेश जारीकरेने की परम्परा सी हो गयी है /यदि कोई आदमी कोई विशष विवादित या चर्चित कृत्यकर जाता है तो ये धर्माचार्य किसी महापुरुष,अवतार,संदेशवाहक के जीवन का हवाला देकर उस कृत्य को सही सिद्ध कराने का आदेश जारी कर देते हैं/ एक अखबार के मुताबिक ६० वर्षीय एक आदमी ने ९ वर्षीय बालिका के साथ विवाह रचाया/ शायद समाज मैं इस कृत्य की आलोचना हुई होगी/ ये सज्जन धर्माचार्य के पास गए/तत्काल धर्माचार्य ने एक पुज्ज्यनीय और महान महापुरुष के जीवन से उदहारण निकालकर बताया की चूँकि उन्होंने भी ९ वर्षीय से विवाह रचाया था इसलिए यह आदमी भी सही है/ यह और ऐसी आज्ञां समाज और मानवता के हित मैं नही हैं/आदेश जारी करने के पूर्व अपने समकक्ष बल्कि अपनेसे ऊँचे दर्जे के स्वधार्मीय विद्वानों से सलाह मशविरा कर लेना कोई बुरी बात नही है/
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