रविवार, अक्तूबर 26, 2008
मौसम ख़राब तो उडानरद्द
साध्वी श्रीजी शंताकुंवार्जी.म.सा। ने सम्ताशिक्षा निकेतन मैं छात्र और छात्रों को दीपवालिपुर्व उद्बोधन मैं कही//आपने छात्रों को सीख दी की छात्र जीवन से गुटके,सुपारी,पुच खाने की आदत से बचें/ इनमें जो घटक मिलाये जातें हैं ,वे मांस,खून,हड्डे,ह्रदय.,लिवर,किडनी,आदि में मिलकर उन्हें नष्टकरते हैं/प्रतिदिन हमारा शरीर कमजोर,जीर्ण शीर्ण होने लगता है/स्नायु तंत्र,स्म्रुतितंत्र आखों की ज्योति ,साँस तंत्र ख़राब होने लागतें हैं/नयी नयी बीमारियाँ घेरने लगती है/हवाई जहाज जब उडान भरता है तो पिओलेट को नियंत्रक से इजाजत लेना पड़ती है/यदि मौसम ख़राब हो तो उद्दान रद्द कर दी जाती है /इसी प्रकार जब हमारे शरीर का मौसम ख़राब हो,स्नायु तंत्र ,ख़राब हो तो हम जीवन मैं ऊँची उडान नही भर सकते/ सध्विश्रीजी म.सा। ने अपने उद्बोधन मैं छात्रों से पूछा की आप मैं से कितने छात्र पटाखे छोड़ते हैं/आपने बताया की पटाखे छोड़ने से कई छोटे पशु,पक्षी अंधे और बहरे हो जातें हैं/छते बच्चे घटक पटाखों से अपने हाथ पैर जला बैठते हैं /पटाखे छोड़ने से जो गैसों का उत्सर्जन होता है वह वायुमंडल को दूषित करता है /छात्रों ने आपको भरोसा दिलाया की की इस वर्ष दिवाली पर हम पटाखे कम मात्र मैं छोडेंगे/और बची धनराशी ,कक्षा के कमजोर छात्रों के लिए देंगे/देश मैं व्याप्त हिंसक,आतंकी आगजनी,तोड़फोड़,बंद,जामआदि घटनाओं के चलते म.सा.इन घटनाओं के लिए जिम्मेदार आदमियों.नेताओं ,संस्थाओं का नम लिए बैगेर एक सकारात्मक वातावरण बनने मैं अपनी भूमिका निभाती हैं/४;४ और ५;५ की.मी। पैदल चलकर कठिन तपस्वी जीवन की दिनचर्या मैं से समय निकलकर छात्रों को सरल.सहज, भाषा मैं प्रवचन देती हैं/
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें