शनिवार, अक्तूबर 18, 2008

मुहिमें थोक मैं नही बल्कि रिटेल मैं जारी हों

अक्सर अखबारों मैं समाचार आतें हैं की पुलिस ने सत्ता विरोधी कार्यवाही के तहत धड पकड़ शुरू कर देही/२०००रुपयोन के साथ ४ सत्तेवाले पकड़ लिए गए /३ भागने मैं सफल हो गए/जिला प्रशाशन और नगर निगम ने संयुक्त रूप से अतिक्रमण विरोधी मुहीम आरम्भ कर दी है/आईटी विभाग ने एक साथ इतने सरे शहरों मैं छापेमारकर इतने करोड़ रुप्पये बिना टैक्स के पकड़े/रेल विभाग ने बिना टिकट यात्रा करनेवालों को धर दबोचा और इतने रु। का राजस्व्व वसूला/ परिवहन विभाग ने अभियान चलाकर बिना नम्बर की इतनी गाडियां पकडीं /ये मुहिमें केवल मुहिमें ही बनकर रह जातीं हैं/और जैसे ही ये मुहिमें बंद हुई की ''शांतता कोर्ट चालू आहे ''की तरह सत्ता ,अतिक्रमण ,बिनातिकट यात्रा,कालाबाजारी, मिलावट जमाखोरी जोश;खरोश के साथ शुरू हो जाती है/बजायमुहीम के प्रतिदिन एक बाज़ार मैं एक अतिक्रमंकर्ता को पकड़कर चालित न्यायलय १५ दिन की सजा देदे,अतिक्रमण तोड़ दे और पुलिस और निगम का अमला अपना रोज का काम करे/दूसरी जगह पुलिस को मालूम है कहाँ पर ,सत्ता खेलनेवाले को पकड़ ले ,और उस जगह को सील कर दे/रेल विभाग किसी फ्लग स्टेशन पर गाडी रोक ले ,बिना टिकेट वालों को गाडी मैं लगी जेल मैं ही बंद कर दे या जुरमाना वसूल कर ले/ पेट्रोल पम्प पर चेकिंग कर उसे सील कर देन/ मुहीम कभी भी न चलायें /थोक मैं न पकडें /रिटेल मैं पकडें /हालतें सुधरेंगी/

1 टिप्पणी:

विष्णु बैरागी ने कहा…

आपके सुझाव व्‍यावहारिक हैं । ईश्‍वर, सम्‍ब‍‍न्धितों को सदबुध्दि दे ।