मंगलवार, अक्तूबर 14, 2008
पीड़ित समाज का विरोध प्रशंसनीय
गौतम बुद्धकी देशना है ''अत्तनो अत्ता दीपं भव: ''अपने दीपक आप बनो/ ''अपना मार्ग आप खोजो /रतलाम ,म.प्र। के वाल्मीकि समाज के एक पधाधिकारी ने यह उदहारण प्रस्तुत किया है /राष्ट्रीय वाल्मीकि जन विकास मंच के महासचिव श्री प्रदीप्चंद करासिया ने लोकसभा उपाध्यक्ष श्री चरंजीत्सिंह के नेतृत्व मैं ,समाज के सदस्यों के साथ प्रधानमंत्रीजी को एक ज्ञापनदिया जिसमे अन्यान्य समस्याओं के साथ एक मांग यह भी थी की वाल्मीकि समाज बहुल बस्तियों मैं शराब की दुकानें खोलने की अनुमती नही दी जाए /हालाँकि सरकारें तत्काल यह मांग मंजूर नही करेंगी ,फिर भी इस सामाजिक बुराईके खिलाफ श्री करासिया का एक संदेश जाएगा/करासियाजी,आप समाज की एक बैठक लेकर ,महिलाओं को इस बात का जिम्मा देदें तो यह समस्या जल्दी हल होगी/यदि ऐसा सम्भव हुआ तो वाल्मीकि समाज अन्य समाजों को भी एक उदहारण प्रस्तुत करेगा /गौतम बुद्ध ने २५००वर्श पूर्व कहा है आप किसी के सहारा से, किसी के उपदेश से ,किसी की कृपा से विकसित नही होंगे आपको स्वयमको अपना दीपक बनाना होगा और खुदको ही अंधेरे से बहार लाना होगा /
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