गुरुवार, नवंबर 27, 2008
माँ की गोद मैं शिशु खुश .पौधों पर फूल खुश घर मैं लगे गुलाब पर ४-५ फूल विकसीत हुए .मेरी पत्नी की सहेली ने भगवन पर चढाने के लिए पत्नी से फूल मांगे. पत्नी ने तत्काल मना कर दिया.मैंने कहा की अगर १-२ फूल दे देतीं तो क्या होजाता?पत्नी बोली की मैं रोज इन पौधों को निकटता से देखती हूँ.जिस प्रकार शिशु अपनी माँ की गोद मैं प्रस्सन रहता है उसी प्रकार फूल पौधे पर प्रस्सन रहतें हैं.जब बड़ी देर तक शिशु माँ की गोद से अलग होता है तो माँ और शिशु दोनों बैचेन हो जातें हैं.इसी प्रकार फूल को पौधों से अलग करने पर फूल और पौधे दोनों बैचेन हो जातें हैं.शास्त्र कहतें हैं की हम प्रकृति के विर्रुधकोई काम न करें .मुझे इस बात की कल्पना भी नही थी की पौधों को बड़ा कर ,उनकी सेवा कर अपने आप ऐसी संवेदना उत्पन्न हो जातीं हैं
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें