रविवार, नवंबर 09, 2008
चेचक,सीतलामाता,कुम्हार,गधा.
शास्त्रों,पुरानों परम्पराओं मैं सीतलामाता एक प्रचलित पूजयानीय देवी है.प्रतेयक गाँव,शहर,कसबे मैं इसके ओटले पर बिना छत के रेतीले या देव्त्ये पत्थर होतें हैं.यही सीतलामाता है..सीतलामाता का पुजारी कुम्हार.कुम्हार का व्यावसायिक वाहन गधा.हम्हारे पूर्वजों ने आस्था उपचार तथा अर्थशास्त्र का गणित कैसे बैठाया है.खुम्हार का कार्य मिटटी की चीजें बनाना .दीपक,मटके हवन पात्र ,नांदे,कवेलू आदि। कुम्हार का एक और पारम्परिक पेशा है,घों;घरों मैं जाकर पानी भरना .यानि सब काम ठंडक के.पानी,मिटटी.कुम्हार,दीपक एकदम शांत.भारत मैं ग्रामीण बहुल इलाकों मैं दूर दूर तक सड़क नही ,अस्पताल नही ,.अँधेरी रत मैं किसी का शिशु अचानक बीमार हो जावे,तो माँ आख़िर क्या करे?हमारे पूर्वजों ने आस्था दी है। रंगीन लच्छा बाँध दो.लच्छा नही .साड़ीकी चिंदी फाड़कर,सीतलामाता के नम सकल्प कर लो.आराम से सोजाओ.यह इलाज कितना वैज्ञानिक,कितना तार्किक,कितना वास्तविक है?यह प्रश्न वादविवाद का नही.आस्था का है। शास्त्रों ने तर्कों पर काम और आशाओं पर अधिक बल दिया है.वर्षाकाल के ४ माह कुम्हारआख़िर क्या करता ?उसका कद बढ़ा दिया .वह माता का पुजारी भी है.चढावे पर उसका अधिकार है.आज तक उसके अधिकारों का हनन नही हुआ है.यही माता चेचक के कशातों से मुक्ति दिलाती है। कितना अनुपम है आस्था ,उपचार और अर्थशास्त्र का तालमेल.
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2 टिप्पणियां:
आपने प्राचीन आस्था की खूबसूरत वैज्ञानिक आख्या दी है.
फुलस्टाप . लगाने के बाद एक बार स्पेसबार कुंजी दबा दें, जिससे वाक्य अलग हो जाएँ. नया पैराग्राफ बनाने के लिए दो बार एंटर कुंजी दबा दें.
thanks.you keep vigilent eye on the written script.again thanks.
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