शनिवार, सितंबर 20, 2008

१से९ की संख्याएँ प्राकृतिक क्यों कहलातीं हैं ?

१ से ९ तक संख्यां प्राकृतिक क्यों कहलाती हैं?इसका कारन है की मानव ने कुदरती तौर पर अपनी उँगलियों से गिनती करना सीखा/मगर यह व्यापक नजरिया नही है/टोकियो यूनिवर्सिटी के अनुसंधानकर्ताओं ने प्रयोगों से प्रमाणित किया है की हाथी ,घोडे,बन्दर,मचली भी १से९ तक की गिनती जानते हैं /जीवशास्त्री कारेनमेक्काम्ब ने बताया की शेरोन को इसका ज्ञान है/एक प्रयोग मैं बंदरों को परदे पर विभ्हीं न गिनतियों के ३५ समूह बताये गए /५केले २सेव्फ़ल ,७ बिस्कुट /उन्हें प्रशिक्षित किया गया /इन बंदरों ने इन वस्तुओं को बढ़ते क्रम मैं रखा/चाइना मैं फिश के शिकार के लिए कर्मोरेंट नाम के पक्षी को प्रशिक्षित किया जाता है/जब वह ७ फिश पकड़ लेता है तो उसे एक फिश खाने को दी जाती है/उसके पाहिले उसके गले के रिंग ढीली कर दी जाती है/गाब यह कर्मोरेंट पक्षी ७ फिश लाकर रखता उसके बाद उड़ता ही नही/जब तक की उसके गले के रिंग ढीले न के जायऔर उसे १ फिश न दी जाय /भगवन ने यह प्रकृति केवल हमारे मानव प्रजाति के लिए बनाई है ,ऐसा नही है/१से९ तक के नम्बर केवल इसलिए प्राकृतिक नही हैं की मानव ने इसे सीखा बल्कि पशु ,पक्षी भी कुदरती तौर पर १से९ तक गिनना जानते हैं/इसलिए १से९ प्राकृतिक संख्याएँ हैं

6 टिप्‍पणियां:

संगीता पुरी ने कहा…

नई जानकारी मिली। धन्यवाद।

दीपक ने कहा…

रोचक एवं ज्ञानवर्धक !!धन्यवाद

Udan Tashtari ने कहा…

रोचक जानकारी!!

वर्ड वेरिपिकेशन हटा लें तो टिप्पणी करने में सुविधा होगी. बस एक निवेदन है.


डेश बोर्ड से सेटिंग में जायें फिर सेटिंग से कमेंट में और सबसे नीचे- शो वर्ड वेरीफिकेशन में ’नहीं’ चुन लें, बस!!!

रवि रतलामी ने कहा…

सर जी, आपके पास तो जानकारियों और ज्ञान विज्ञान का भंडार है. अब वादा करें कि रोज एक पोस्ट लिखा करेंगे.
अच्छी जानकारी दी है. धन्यवाद

Ghost Buster ने कहा…

क्षमा कीजिये. मुझे आपकी पोस्ट में कुछ असंगत और समझने में मुश्किल तथ्यों का जमावडा ही ज्यादा लग रहा है. आप थोड़ा और विस्तार से लिखिए, पढ़ना रोचक रहेगा.

अगली बात ये कि प्राकृतिक संख्याएँ एक से नौ तक नहीं बल्कि एक से अनंत तक होती हैं. हाथ-पाँव में ऊँगलियाँ, नौ नहीं दस होती हैं.

मैं एक बार फ़िर से क्षमा मांगता हूँ. लेकिन मेरा ये विश्वास है कि नए चिट्ठाकारों को प्रोत्साहन देने के नाम पर उनके लिखे किसी भी भी लेख को केवल वाहवाही से भर देने से किसी का भला होने वाला नहीं, न तो ब्लौग जगत का और ना ही उस चिट्ठाकार का.

VISHWAS ने कहा…

Thats excellent! Now you are a real professor. I feel I can collect some in depth knowledge of the world. The subject will be the "world" and the language will be " PHYSICS"
VISHWAS