रविवार, जून 01, 2008

बायल का नियम राजनीती मैं

नेपाल मैं राजतन्त्र का अंतत ;सफाया हो गया/२४० साल की राजशाही संपत हो गई /२४० साल से जनता पर दवाब था /दवाब इतना बढ़ा की जनता का आयतन काम हो गया /मतलब जनता पिसती चली गयी। जिस रजा को लोर्ड़ विष्णु की तरह पूजा जाता था ,उसे १५ दिन मैं राजमहल खाली करना है/बायल के का नियम है दवाब बढ़ने से आयतन कम होता है/दवाब कम होने से आयतन बढ़ता है/राजशाही का दवाब कम हुआ ,जनता की उम्मीदें बढ़ी/ नेपाल की नयी सरकार यह न भूले की जनता जिसे पूजती है उसे निन्दित भी करती है/ टीवी पर हमने लेनिन और मार्क्स के पुतलों की ,हिटलर के पुतलों की, सद्दाम हुसैन के पुतलों की जो दुर्गति जनता ने की वह हमने देखी है/ प्रचंड सरकार को बधाई देते हुए हम उम्मीद करते हैं की उनकी सरकार बायल के नियम को याद/ रखेगी

1 टिप्पणी:

अजित वडनेरकर ने कहा…

बढ़िया है। राजशाही के खात्मे को बायल के नियम से खूब तौला आपने।