रविवार, मई 25, 2008

निजध्यासन

भौतिकी मैं अनुनाद की घटना बताई जाती है/जिसके अनुसार बार बार धवनी तरंगे उसी अव्रती से कहीं टकराती हैं तोविधवंस पैदा करती हैं/इसलिए किसी पुल से मार्च करते समय सैनिकों को कदम तोड़कर चलने को कहा जाता है ताकि पुल टूट न जाए/स्वामी सुख्बोधानान्दजी कहतें हैं की इसके विपरीत कुच्छ धवनी तरेंगे हैं जो रचनात्मक उर्जा पैदा कराती हैं/वेदांत के मंत्रों का जाप याchएंटिंग की जाय और उचित आरोह आव्रोह के साथ की जाय तो साधक को उर्जा मिलाती है /इसे निजध्यासन कहतें हैं/शास्त्रों मैं प्रमाण हैं /

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