गुरुवार, मार्च 08, 2012

unprdictable results in UP. AND PUNJAB.

उत्तर प्रदेश और पंजाब के नतीजों ने सबको चौंका दिया. तमाम अनुमानित सर्वेक्षणों को मतदाता ने रद्दी की  टोकरी मैं फेंक दिया. इ.वी.ऍम. खुलने तक संचार माध्यमों ने सबके दिमाग मैं एक बात बिठा दी थी की खिचड़ी सरकार ही उत्तरप्रदेश मैं बनेगी. पंजाब ( मैं आम्रिन्दर्सिंह ही आयेंगे. चुनाव परिणामों ने एक बात साफ कर दी की मतदाता के मन की थाह पाना कठिन है. मतदाता न तो गाँधी नेहरु परिवार को देखता है ,न वह राम मंदिर के लिए वोट डालता है.(हालांकि वह राम मंदिर चाहता है.)लोग कहते हैं की समाज मैं आस्सी प्रतिशत दलित/आदिवासी/पिछड़े हैं फिर मायावतीजी कैसे हार गयीं? असल मैं मतदाता उसे वोट देता है जो जीतने की कूवत रखता हो.राषट्रीय स्तरके दल कांग्रेस और भा.जा.पा. की जो दुर्गति उत्तरप्रदेश मैं हुई है ,इससे इन दलों को सीख लेनी चाहिए.चुनाव आयोग को अपने से हल्का सम्झेने वाले केन्द्रीय मन्न्त्रियों को तत्काल कारण बताओ सुचना पर जरी होने चाहिए. एक महोदय कहतें है '' रात को बारह बजे वे प्रधानमंत्री बन सकतें हैं'' आदि आदि/कहता है वे रिमोट कंट्रोल से उ.प्र.की सरकार चलाएंगे.भाजपा मैं और कांग्रेस मैं नेताओं की बाढ़ सी आ गयी. बटाला हाउस ,राम मंदिर ,आरक्षण,लेपटोप ,बेरोजगारी भत्ता ,ऐसे ऐसे मुद्दे उठाये गए जो तर्कहीन थे.आम मतदाता के इस निर्णय को किसी भी दल के पक्ष या विपक्ष मैं नहीं देखा जाना चाहिए. यदि सरकार विरोधी रुझान कहें तो पंजाब मैं क्या हुआ. जो पंजाब मैं हुआ वह गोवा मैं क्यों नहीं हुआ?अभी कई दिन तक दोनों राषट्रीय स्तर के दलों के है कमान को विचारमंथन करना होगा .अन्यथा क्षेत्रीय दल और जातिगत आधार पर खड़े दल इन राषट्रीय स्तर के दलों का सफाया कर देंगे.

1 टिप्पणी:

Satish Saxena ने कहा…

हमारे यहाँ राजनीती पर इतनी चर्चाएँ क्यों होती हैं ??