रविवार, दिसंबर 07, 2008
kutoon ke sath bharteey nahee balki neta कुत्तों के संग भारतीय जनता नही ,बल्कि नेता ////////
कुत्तों के संग भारतीय जनता नही ,बल्कि नेता ////////बापू दक्षिणी अफ्रीका मैं रेल से यात्रा करते समय धकेल दिए गए थे .भारतीयों और कुत्तों को रेल की उस विशेष श्रेणी मैं यात्रा की अनुमति नही थी. अब आजादी के ६० साल बाद हालत बदली है.कुत्ते तो वहीं हैं.रेल की जगह रेल्ली है ,और जनता की जगह नेता हैं/यह घटना हुई है ,मुंबई मैं /आतंकवाद के खिलाफ निकली रैली मैं एक पोस्टर पर लिखा था ""इस रैली मैं कुत्तों और नेताओं को आने की अनुमति नही है.नेताओं अब चेतो/जनता ४० किलो का हार भी पहिनाती है ,और वही जनता जूतों की माला भी पहिना सकती है.
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4 टिप्पणियां:
बात तो सही है लेकिन नेताओं से पहले नागरिक चेतें । नागरिक चेतेंगे तो नेता दुस्साहसी नहीं हो सकेंगे ।
सुरेशजी,
कुत्ता तो फिर भी वफादार होता है।
w.e. hataa lein.
बहूत बढ़िया
Leaders are Elected by public vote.
Blaming a leader is disrespecting the public choice. Let us make a right choice next time.
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