दिल्ली की पहली वर्षगांठ १९११ और स्वाभिमानी राजासयाजीराव गायकवाड ///////// सन २०११ दिल्ली की १०० वीं वर्षगांठ है. दिल्ली १९११मैं देश की राजधानी बनी. इसी वर्ष ब्रिटेन के राजा जोर्ज पंचम को भारत का महाराजा सम्राट घोषित किया गया. प्रथम बार कोई ब्रिटेन का राजा यहाँ समारोह के लिए व्यक्तिशः उपस्थित हुआ. जोर्ज पंचम के स्वागत के लिए भारत के लगभग छसोराजा नवाब वंदना करने हेतु एकत्रित हुए. राजाओं को सम्राट के सामने उपस्थित होकर अपना परिचय किस प्रकार दिया जाय,इसकी हिदायतें दी गयी. सर्वप्रथम परिचय, फिर तीन बार झुकना ,फिर बिना मुड़े पीछे चलकर अपना आसन ग्रहण करना. प्रत्येक राजा ने आचार संहिता का पालन किया. मगर बरोड़ा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड तृतीय इस आचार संहिता की धज्जियाँ उड़ादी. वे न तो तीन बार झुके ,और न पीछे हटतेहुए गए. बल्कि मुड़कर आसन पर आए. इतना ही नहीं व्यंगात्त्म्क और उपहासात्मक हंसी हँसते हुए आए. पूर्ण दरबार एकदम सन्न रह गया. इतिहासकार अमर फारूकी ने कहा है की महाराजा सयाजीराव गायकवाड ने का यह कदम बहादुरी पूर्ण था. सयाजीराव एक प्रगतिशील राजा थे. आपने बालविवाह पर रोक लगाई.बरोड़ा मैं सूती मिलें और बैंके आरम्भ की. प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य और निःशुल्क घोषित किया. डा. भीम राव जी आंबेडकर को स्नातकोत्तर शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता दी. डा.भीम राव जी हमारे संविधान निर्माता हैं. जिन पर पुरे देश को गर्व है. और सबके दिल मैं उनके प्रति बड़ा सम्मान है. सन १९११ मैं कोई यह भविष्यवाणी भी नहीं कर सकता था की तीन दशक बाद देश आजाद हो जायगा. उस जमाने मैं सयाजी राव गायक वाडका यह कदम बड़ा साहसपूर्ण था. वे प्रजा मैं बड़े लोकप्रिय थे. वे चाहते थे की प्रत्येक भारतीय स्वाभिमान और अन्तः प्रेरणा से ओतप्रोत हो.राजधानी दिल्ली की १०० वीं वर्ष गांठ पर बधाई और महाराजा सयाजी राव गायक वाड को श्रद्धा पूर्वक नमन.
शनिवार, दिसंबर 24, 2011
lokpal,ke bare main.
अपने अपने जुमले हैं,अपने अपने तर्क,हंसिया हो हथोडा हो,या हो हाथी या हाथ. लालटेन हो या कमल हो हर को हर का साथ/ ये सब साथी हैं,हम जोली हैं, नहीं है कोई फर्क./ लोकपाल के माथे पर है ,आरक्षण की टोपी. आँख पर टुटा चश्मा .पहिनने को है लाल और केसरिया कमीज, एक हाथ मैं मंदिर की घंटी है दूजे मैं है लम्बी छड़ी ,////अंग्रेजों का सूट नहीं है पहिना, मगर गले मैं हाथी ब्रांड टाई है शानदार, /एक टांग पर केसरिया धोती दूजी पर पायजामा चूडीदार,एक पैर मैं चप्पल है ,दूजे मैं जूता एडीदार //////अपने अपने जुमले हैं अनपे अपने तर्क हंसिया हो या हथोडा हो ,लालटेन हो या कमल हो हर को हर का साथ,ये सब साथी हैं,हमजोली है, किसी मैं नहीं है कोई फर्क अपने अपने जुमले हैं अपने अपने तर्क.////////अन्ना का लोकपाल है बड़ा अलबेला, कानून का वो जानने वाला, हाथ मैं मैं हंटर ,पैर मैं फौजी बुट,//फ़ौज उसकी बड़ी सशक्त है ,बंद कर देगा सारी लूट ///उसे संसद या कोर्ट किसी की जरूरत नहीं पडी है ,शुरू कर देगा वह अपनी बन्दर बाँट,उसे किसी की क्या पडी है?///जब वो पूरी ताकत से हाथ मैं हंटर लेकर, कानून को जबान पे रखकर ,परमाणु सूटकेस पर उंगली रखकर दिल्ली के तखत पर बैठेगा ,तो गद्दाफी, सद्दाम हिटलर को जमाना भूल जाएगा, और मेरे देश का अवाम आसमान ताकता रह जाएगा, ///////और तब तक अन्ना की आन्दोलन से हो जायगी छुट्टी ,किरण केजरीवाल और सिसोदिया जेल मैं पिसेंगे घट्टी,जेल मैं पिसेंगे घट्टी .///आज तक जनता को क्या फर्क पड़ा है, खड़ा है राज्जपाल,या लोकपाल नहीं किसी मैं फर्क अपने अपने.............
शुक्रवार, दिसंबर 02, 2011
post card and landline telephone
छोटे डाकघरों मैं पोस्टकार्ड औरप्रधान डाकघरों मैं जवाबी पोस्टकार्ड अनुबल्ब्ध हैं. बैंकों मैं चेक डालने के लिए जो ड्रॉप बॉक्स रखे गए हैं उस पर लिखा है की चेक डालनेवाले उपभोक्ता अपना मोबाइल क्रमांक डालें. यदि कोई सज्जन मोबाइल का उपयोग न करते हों लैंड लाइन क्रमांक डालने मैं क्या हर्ज़ है? ऐसा जब बैंक मेनेजर से पूछा गया तो उनका जवाब था की आजकल कोई भी लैंड लाइन और वह भी बे.अस.अन अल की नहीं उपयोग मैं लेता. हमारा समाज एक और तो महंगाई का रोना रोता है दुसरे इन सस्ते और सुलभ देसी कंपनियों और सरकारी विभाग के संचार साधनों का उपयोग करना ही नहीं चाहता.पोस्टकार्ड शायद दुनिया मैं सबसे सस्ता संचार का माध्यम है . सस्ते साधन के अलावा यह कई लोगों के रोजगार का जरिया भी है. इसी प्रकार लैंड लाइन फोन जो सरकारी है ,इसका बिल्लिंग सही है. यदि लैंड लाइन फोन ख़राब है ,तो इसकी शिकायत आप करिए.क्या दिक्कत है/हम लोगों को भ्रम और भटकाव मैं जीने की आदत पड़ गयी है. हम तय नहीं कर पा रहे की विदेशी कंपनियों का साकार विरोध करें की खाली माली भोंपू और शंख की तरह भेडियाधसान चिल्लाते रहें?
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